'99 का फेर' क्या है? सम्राट और नाई एक सम्राट था, उसके राज्य का एक नाई उसका नौकर था। वह प्रतिदिन उसकी मालिश करता, तथा हजामत बनाता था। इस काम के नाई को एक रुपया प्रतिदिन मिलता था। जिससे उसका रोज का खर्च आसानी से चल जाता था। नाई हमेंशा खुश रहता था।मन में कोई चिंता नहीं और कल की परवाह नहीं। सम्राट को बडा हैरानी होता था कि नाई हमेशा प्रसन्न, बड़ा आनंदित, और मस्त रहता है! बस, एक रुपया रोज में वह खूब खाता-पीता, मित्रों को भी खिलाता-पिलाता। सस्ते जमाने की बात थी। रात को जब वह सोता तो उसके पास एक पैसा नही होता था; वह निश्चिन्त सोता। मालिश करके सुबह एक रुपया फिर उसे मिल जाता । वह बड़ा खुश था! इतना खुश था कि सम्राट को उससे ईर्ष्या होने लगी। क्योंकि सम्राट भी इतना खुश नहीं था। खुशी कहां! बल्कि उदासी और चिंताओं के बोझ और पहाड़ उसके सिर पर थे। उसने नाई से पूछा कि तेरी प्रसन्नता का रहस्य क्या है? नाई ने कहा, मैं तो कुछ जानता नहीं, मैं कोई बड़ा बुद्धिमान भी नहीं। लेकिन, जैसे आप मुझे प्रसन्न देख कर चकित होते हो...
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