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यह मेरी समस्या नहीं है! | एक चूहेदानी और 3 मौतें | Best Hindi Moral Story

 

हम अक्सर अपनी जिंदगी में यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि 'छोड़ो यार, यह मेरी समस्या नहीं है' (It's not my problem)। लेकिन यही सोच कितनी खतरनाक हो सकती है? आज की यह Hindi Kahani एक चूहे, एक चूहेदानी और घर के पालतू जानवरों से संबंधित है। यह Motivational Story में हमें सिखने को मिलेगा कि कैसे एक छोटी सी अनदेखी पूरे परिवार या समाज के विनाश का कारण बन सकती है। यह Chuha aur Chuhadani की कहानी है जो हमें 'सामाजिक सरोकार' और 'सहानुभूति' (Empathy) का सबसे बड़ा पाठ पढ़ाती है। आइए पढ़ते हैं कि कैसे कबूतर, मुर्गा और बकरा अपनी ही बेपरवाही का शिकार बने, जबकि चूहा बच निकला।"

हम सभी के जीवन में कभी न कभी ऐसी मुसीबत भी आती है जो हमारी बेपरवाही के कारण पैदा होता है । हम समय रहते उसका निदान कर देते तो ऐसे मुसीबत में नही फसते। कोई न कोई जाने अनजाने हमे भविष्य में आने वाली  समस्याें के बारे सूचित करता ही है। किंतु हम अपने आराम परस्त जीवन को कष्ट देना नही चाहते। या फिर हम उसे किसी और की समय समझ कर गंभीरता से नहीं सोचते।अंततः समाज के एक तबके के लिए उत्पन्न समस्या पूरे समाज को चपेट में ले लेता है। आइए इसे इस कहानी के माध्यम से समझने  का प्रयास करते हैं।

 

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        एक चूहा, एक व्यापारी के घर में, बिल बना कर रहता था ।

चूहा उसी घर में से, थोड़ा बहुत अनाज भी खा लेता था। व्यापारी को इस बात की खबर काफी दिनों से था और इस कारण  चूहे पर क्रोधित रहता था । व्यापारी हमेशा चूहे को पकड़ना या मरना चाहता था किंतु चूहा कभी उसके हाथ नही आया।

        एक दिन व्यापारी और उसकी पत्नी बाजार से घर आए।चूहे ने देखा कि व्यापारी और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चूहा  की खुशी का ठिकाना नही रहा । चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है ।क्योंकि अक्सर ऐसा ही होता था।

        उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक चूहेदानी थी।

        चूहा को खतरा भापने में देर नहीं लगी। घर में और भी जानवर तथा पक्षी रहते थे । जो व्यापारी के पालतू जानवर थे । चुकी चूहा अकेला कुछ कर नही था ।इसलिए उसने सोचा की दूसरे जानवरो से सहायता लेकर मुसीबत को दूर किया जाए।

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       सबसे पहले उस ने पिछवाड़े में जा कर कबूतर को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है !

        कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? चूहेदानी तो तेरे लिए लाया है। मुझे कौन सा उस में फँसना है? तू अपना देख। कबूतर की बात सुनकर चूहा बहुत निराश हुआ। किंतु हार नहीं मानी और दूसरे जानवर से सहायता की आशा रखी।

        निराश चूहा ये बात मुर्गे को बताने गया ।

        मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा… "जा भाई....ये मेरी समस्या नहीं है ।"

        चूहा खतरे की गंभीरता को समझता था।इसलिए प्रयास जारी रखा

        व्यापारी के पास एक बकरा भी था जो बाड़े में बंधा रहता था।

        हताश चूहे ने बाड़े में जा कर बकरे को ये बात बताई।और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा। ठहाका लगाते हुए बकरे ने चूहा से कहा। कभी बकरे को चूहे दानी में कैद होते हुए देखा है? तू घबराहट के कारण पागल हो चुका है। तभी तूम मुझसे ऐसी बाते रहा है। इस तरह कुछ दिन गुजर गए।

            एक रात अचानक चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई,। उसे घर में रहने वाले सभी पालतू पशु पक्षी चौकन्ना हो गए। वे समझ गए कि आज चूहा ,चूहा दानी में फस चुका है। व्यापारी के पत्नी को भी लगा कि आज चूहा फंस गया ।

            किंतु उस चूहे दानी में एक ज़हरीला साँप फँस गया था।

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        अँधेरे में उसकी  पूँछ को चूहा समझ कर व्यापारी की पत्नी ने उसे निकाला । साँप चूहे दानी से बाहर आते ही उसे डस लिया।

        सांप के डसने से तबीयत बिगड़ने लगी।

         व्यापारी ने शीघ्र वैद्य को बुलवाया। वैद्य ने महिला की हालत को देखते हुए औषधि दिया और साथ ही उसे कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी ।

        फिर क्या था

        कबूतर अब पतीले में उबल रहा था...।

        खबर सुनकर उस व्यापारी के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे।

        चूकि कई रिश्तेदार बहुत दिनों बाद मिलने आए थे। इसलिए  भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन उसी मुर्गे को काटा गया ।

        कुछ दिनों बाद उस व्यापारी की पत्नी ठीक हो गयी,। तो खुशी में उस व्यक्ति ने अपने गांव के लिए एक दावत रखी। 

        दावत में भोजन का उचित प्रबंध हो अतः  बकरे को काटा गया।

        अब चूहा का क्या,,?कुछ भी नही 

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        चूहा अब दूर जा चुका था, बहुत दूर ……….। क्योंकि चूहा समझ चुका था कि मैं आराम परस्त,निकम्मों,बुजदिलो, कायरो के  समाज में जीवन व्यतीत कर रहा हूं।ऐसे समाज में जीवन ज्यादा दिन चल सकता।

 

            इस लिए अगली बार कोई आपको अपनी समस्या बतायेे और आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है, तो रुकिए और दुबारा सोचिये ।

समाज का एक अंग, एक तबका, एक नागरिक भी खतरे में है तो पूरा समाज व पूरा देश खतरे में..है ।

इस Heart Touching Story सिखती है कि समाज में हम परस्‍पर जुड़े हुए हैं। जब हम किसी और को मुसीबत में देखकर आँखें फेर लेते हैं, तो इसका सीधा अर्थ है कि हम अपनी बारी का इंतजार कर रहे होते हैं। उस कबूतर, मुर्गे और बकरे ने सोचा था कि 'चूहेदानी' सिर्फ चूहे की समस्या है, लेकिन अंततः वही उनकी मौत का कारण बनी।यह Inspirational Story in Hindi हमें याद दिलाती है कि समाज का एक अंग (हिस्सा) भी अगर तकलीफ में है, तो पूरा समाज खतरे में है। अगली बार जब कोई आपसे मदद मांगे, तो यह मत कहिए कि 'यह मेरा काम नहीं है'। एक-दूसरे का साथ दें और सुरक्षित रहें।

।।जय हिंद।।

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