"दोस्तों, सुनते आ रहे हैं कि भगवान का नाम लेने
से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। लेकिन आज की Hindi Kahani में एक तोते ने इस बात को झूठ साबित कर
दिया! यह Tota aur Pandit ki Kahani हमें बताती है कि तोते ने पंडित को
झूठा क्यों कहा? यह Motivational Story भारतीय संस्कृति में Guru
ka Mahatva बहुत ही सुंदर ढंग से समझाती है।कैसे
एक गुरु की छोटी सी युक्ति ने वो कर दिखाया जो सालों का शास्त्र ज्ञान नहीं कर
पाया। यह Spiritual Story आपकी आँखें खोल देगी।"
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| rani tota aur guru |
भारतीय संस्क़़ति में गुरू का स्थान, सर्व श्रेष्ठ माना गया है।गूरू का स्थान, ईश्वर से भी उपर है। गुरू के मार्ग
दर्शन के बिना मुक्ति पाना संभव नही है। गुरू के युक्ति से ही मुक्ति है। आईए एक
कहानी से इस परम सत्य को समझते हैं।
बहुत समय पहले की बात है।एक राज्य में, एक राजा हुआ करता था। उनकी रानी बहुत
ही भक्ति भाव वाली स्त्री थी। उस नगर का प्रसिध्द पंडित प्रतिदिन रानी को कथा सुनाने महल मे जाया करते थे । कथा के अंत में पंडित प्रतिदिन कहते, “हरि बोलो तो बंधन छुटे’’।
महल
के जिस कक्ष में रानी को पंडित कथा सुनाता उसी कक्ष मे एक सोने के पिजरा टंगा था। जिसमे एक तोता बंद था। पंडित जी जब
रानी को कथा सुना रहा होता ,तो तोता भी बडे ध्यान से कथा सुनता। किन्तु ,जैसे ही पंडित अन्त में बोलता “हरि बोलो तो बंधन छुटे ’। तोता तुरंत बोल पडता ‘’पंडित झुठा है।‘’ उस समय पंडित जी को बहुत गुस्सा आता था। किन्तु पंडित जी
मन मसोस कर रह जाते और चुपचाप चले जाते थे। परन्तु अब तो तोता पंडित को प्रतिदिन झूठे पंडित कह कर सम्बोधित
करने लगा। सब लोग क्या सोचेंगे ,रानी क्या सोचेगी, ये
सोच कर पंडित जी मन ही मन बहुत
क्रोधित होते।
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पंडित जी के पास तोता को समझाने का कोई उपाय नही था। एक दिन पंडित जी परेशान हो कर अपने गुरु जी के पास गये गुरु जी को सब हाल बताया। अगले दिन गुरु जी पंडित जी के साथ स्वयं कथा वाचने गये। और कथा पूर्ण
हाने पर
पंडित जी ने प्रतिदिन की तरह कहा ‘’हरि बोलो तो बन्धन छुटे ।‘’ ये सूनते ही तोता तपाक से बोला झुठा
पंडित। तोता की आवाज सुनकर गुरू जी को आश्चर्य हुआ। गुरू जी ने एकान्त मे तोते के पास जा कर पूछा तुम पंडित को झूठा क्यों कहते हो? तोते ने कहा- गुरू जी ‘मैं पहले खुले आकाश में उड़ता था। एक बार मैं एक आश्रम में जा बैठा। जहां सब साधू-संत हरि का नाम ले रहे थे। वहां मै प्रतिदिन बैठने लगा।इस तरह मैंने भी हरि नाम का बोलना शुरू कर दिया। एक दिन मैं उसी आश्रम में राम-राम बोल रहा था तभी एक संत ने मुझे देखा और मुझे पकड़ कर लोहे के पिंजरे में बंद कर लिया फिर मुझे, दो – चार श्लोक सिखाये।
कुछ
दिन ऐसे
ही बिता। एक दिन आश्रम में एक सेठ ने संतों को भारी दान दक्षिणा दी। संत ने
आशिर्वाद स्वरूप मुझे पिंजरा सहित सेठ को सौंप दिया। और कहा, यह बोलने वाला तोता है, हमेशा हरि का सुमिरण करता है। सेठ जी मुझे अपने साथ लेकर घर आ गया ।और मुझे चांदी के पिंजरे में
बंद कर दिया और मेरा बंधन बढ़ता गया। अब मै स्वच्छ वायु और ताजा फलों के लिए भी तरसने लगा। इस बंधन से निकलने की कोई संभावना नही रही। एक दिन उस सेठ का जरूरी काम राजा के दरबार में अटक गया । राजा को खुश करने के लिए सेठ ने उपहार स्वरूप मुझे राजा को दे दिया चुकि मै बोलने वाला तोता था, इसलिए
राजा ने खुशी-खुशी मुझे ले लिया ।
क्योंकि मैं राम-राम और श्लोक बोलता था। और रानी धार्मिक प्रवृत्ति
की है अतह राजा ने मुझे रानी को दे दिया। रानी ने मेरे लिए सोने का पिंजरा बनवा दिया और अब खाने
मे हमेशा मेवे और अन्य कीमती भोज्य पदार्थ ही मिलते हैं। मिर्च खाना, पेड पर लटके फलों मे चोंच मार कर स्वाद लेना ,मै भूल ही गया हूं। अब मैं कैसे मानू कि “ हरि बोलने से ,बंधन छूटते है’।
‘’गुरू जी । हरि का सुमरण करने से मेरा बंधन का स्तर और उॅचा होता गया । लोहे से चॉदी का हुआ और चाँदी से सोने का होता गया।किन्तु ,बंधन नही छुट पाया। वहीं का वही रहा। मै रहा पिजडे में ही।‘’तोते की बात सुन कर, गुरू जी को दुख हुआ। गुरुजी ने तोते के कान में धिरे से कहा - आज तुम भोजन खा कर थोडी देर बाद चुपचाप पड जाओ, हिलना भी नहीं। हिलाया जाये तो भी मरणासन्न अवस्था मे पडे रहना। तोता ने बिल्कुल ऐसा ही किया।
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रानी ने पिंजरा खोला,खुब हिलाया-डूलाया। किन्तु, तोता ने कोई प्रतिक्रिया नही की। थोड़ी देर बाद रानी ने सेवकों से कहा ये तोता मर चुका है। इसे बाग मे गढ्ढा खोद कर दबा दो।
जैसे ही तोते को लेकर सेवक बाग मे पहुँचे तोता फुर से उड गया। तोता पिंजरे से निकलकर आकाश में उड़ते हुए लगातार बोलने लगा ….‘गुरु मिले तो बंधन छूटे’।
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अतः
हम कितना भी शास्त्रो का अध्ययन कर लें । पूजा पाठ व जाप कर लें । किन्तु, सच्चे गुरु जब तक रास्ते ना बताऐं तब तक मुक्ति पाना सम्भव नही।
इस कहानी से सिद्ध होता है कि 'गुरु मिले तो बंधन छूटे'। हम चाहे कितनी भी किताबें पढ़ लें या
मंत्र रट लें, जब तक जीवन में सही मार्गदर्शक गुरु
नहीं मिलता, मुक्ति असंभव है। यह Inspirational Story हमें सिखाती है कि केवल तोते की तरह
रटने से नहीं, बल्कि विवेक और गुरु की 'युक्ति' से ही जीवन की समस्याओं से आजादी मिलती है।


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